Thursday, February 26, 2009

फिल्म निर्माता कृपया ध्यान दे ! लोवेस्ट डील Re.1

आदरणीय निर्माता, निर्देशक;

हर उस हिन्दुस्तानी के दिल में, जो अपने बॉलीवुड से जरा भी इत्तेफाक रखता होगा, यह कसक जरूर है कि आखिर हमारी फिल्मो में ऐसी क्या कमी है कि उन्हें आजतक ऑस्कर नहीं मिला ! इस बात पर गौर फरमाने के बाद मेरे भी कबाडी दिमाग में कुछ घटिया किस्म के विचार आये और अपनी विमानन उद्योग से जुडी कंपनियों से प्रेरणा लेते हुए मैंने भी सोचा कि क्यों न मैं भी अपने देश के निर्मातावों को कुछ अच्छी डील ऑफर करू ! यकीन मानिए वैसे तो मैं उम्दा किस्म के गीत भी लिख सकता हूँ मगर आज के इस पाश्चात्य संस्कृति से सरागोश युग में उम्दा गाने सुनता कौन है ? उन्हें तो बस, जाम के साथ थिरकने के लिए, कोई डिक्चिक-डिक्चिक संगीत चाहिए बस! क्या करे , एक शेर याद आ रहा है ;

जूनून का दौर है, किस-किस को जाए समझाने,
इधर अक्ल के दुश्मन, और उधर हुश्न के दीवाने


खैर, लीजिये एक पटकथा और चन्द गाने प्रस्तुत है ; वैसे तो हमारे आज के महान-महान संगीतकार गीत की दो लाईनों पर ही पाच मिनट का समय पूरा कर लेते है मगर आपको डील पसंद आई, और आप चाहें तो बाद में गानों को कुछ और बड़ा भी किया जा सकता है ;

पटकथा; फिल्म का नाम रख सकते है 'शाला बनगया नेता' ! होता यह है कि गाँव के हेडमास्टर जी की पत्नी का आवारा, अनपढ़, चोर उचक्का भाई, यानी हेडमास्टर जी का शाला, अचानक एक दिन चुनाव जीत एमएलए बन जाता है! हेड मास्टर जी खुसी से गाँव वालो के साथ मिलकर यह कोसरा गाते है;

अरे लोकतंत्र की राजनीति का, यह कैसा गड़बड़ झाला ( बैक ग्राउंड में ढोल नगाडे का संगीत)
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!
जाने कितने कत्ल किये और खूब किया घोटाला,
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!
जेब काटना था पेशा जिसका और धंधा था ताला
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!
जेल था जिसका ठौर-ठिकाना आज बन गया आला
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!
मालदार वो आज बड़ा जो न था कभी दो पैसे का लाला
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!
झूटे का मुह उजाला है इस कलयुग में, सच्चे का है काला
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!
अरे लोकतंत्र की राजनीति का, यह कैसा गड़बड़ झाला
ए बी सी डी पता नहीं, और नेता बन गया शाला......
अरे नेता बन गया शाला....अरे नेता बन ..... तुनुक-तुनुक, तुनुक,तुनुक.........!


अब जी , वो क्या कहते है कि आगाज ऐसा तो अंजाम कैसा, अब जब शाले साहब एमएलए बन ही गयी थे तो किसी दस्यु सुंदरी से प्यार मुहबत भी लाजमी था ! अब यह भी निश्चित था कि जब वे एमएलए है तो प्यार भी अब्बल दर्जे का ही करेंगे ! तो जनाब जब उन्होंने प्यार किया तो दस्यु सुंदरी के मुख से यह बोल फूट पड़े ;

हाय रे , दो दिन हुए न मिले हुए, हमको जुम्मा जुम्मा...
इस गाल पे मारा चुम्बा उसने, उस गाल पे मारा चुम्मा...टिन-ट्रिन, धिन टिन-ट्रिन .....!
हाय रे , दो दिन हुए न मिले हुए, हमको जुम्मा जुम्मा...टिन-ट्रिन, धिन टिन-ट्रिन .....!
दो दिन मे ही घूम के आ गए, कुल्लू और मनाली
होटल में बने मिंया- बीबी, सड़क पे जीजा शाली
गिरा दी गर्मी के मौसम में बर्फ यूँ झुमा-झुम्मा
इस गाल पे मारा चुम्बा उसने, उस गाल पे मारा चुम्मा...टिन-ट्रिन, धिन टिन-ट्रिन .....!
पहले हमको खूब पटाया, ऊपर से फिर प्यार जताया
बिठा के पहलु में अपने, हरदम हमको खूब सताया
ख़ुशी के मारे झूम उठा, तन सब मेरा रुम्मा-रुम्मा
इस गाल पे मारा चुम्बा उसने, उस गाल पे मारा चुम्मा...टिन-ट्रिन, धिन टिन-ट्रिन .....!
अब जनाब, आप भी जानते है कि समय सदा एक जैसा तो नहीं रहता, अतः पांच साल का कार्यकाल ख़त्म होने को आया तो जनाब के सारे घपलों और कारगुजारी का काला चिटठा जनता के पास था, और जब ये एक बार फिर से हाथ जोड़कर लोगो के समक्ष गाँव में पहुंचे तो लोगो ने 'गारलैंड' की जगह 'शुलैंड' से इनके परेड करवा डाली , वैसे भी पिछले कुछ समय से शु के शेयर फूलो के मुकाबले काफी बढोतरी दर्ज करवा रहे है ! अब जब जनाब की शु परेड हो ही रही है तो इस सुअवसर पर गाँव वालो का गीत गाना भी लाजमी था,गीत के बोल कुछ इस तरह थे ;

अरे बाबडे छोरे, सड़े आलू के बोरे, तू सुण हमरी बात
खोता बण जा,पर नेता मत बणियो, भूल के अपनी जात........!

यकीन मानिए, चुनाव का मौसम भी करीब है , आपकी फिल्म खूब छोले बटोरेगी ! इसलिए फटाफट मेरे ब्लॉग पर दिए इ-मेल पर डील कन्फर्म कर दो, एक रूपये में (सरचार्ज एक्स्ट्रा), हां फिल्म के परदे पर गीतकार का नाम पी.सी.गोदियाल दिखाना मत भूलना, बस, और लग जावो फटाफट फिल्म बनाने में, बजट रखना कुल ११०० रूपये मात्र, (सरचार्ज एक्स्ट्रा) फिर देखना, गिनीज बुक में भी आ जायेगी और जब ऑस्कर लेने जावो तो इस गरीब नवाज को भी जरूर याद रखना !
गुड लक्

No comments: