Tuesday, December 18, 2012

मूर्खता और लालच !


गत सप्ताह एक विवाह समारोह में सम्मिलित होने हेतु उत्तराखंड की यात्रा पर था। वहाँ एक परिचित के मुख से सुनी एक पुरानी आंचलिक कहानी को यहाँ लिपिबद्ध कर रहा हूँ। संभव है कि कुछ लोग इस कहानी से पहले से वाकिफ हो फिर भी  उम्मीद करता हूँ कि कुछ पाठकगण, खासकर बच्चों को पसंद आयेगी


एक गाँव में एक निर्धन मगर बहुत ही चालाक किस्म का किसान रहता था। घर की परिस्थितियों के अनुरूप किसान की पत्नी खान-पान में भी मितव्ययता बरतने का भरसक प्रयास करती थी, लेकिन किसान को यह पसंद न था। फलस्वरूप उसने अपनी पत्नी से कहा कि आइन्दा वह जब भी भोजन पकाए  तो दो आदमियों का खाना अतिरिक्त बनाया करे, भले ही उस अतिरिक्त भोजन को उन्हें दूसरे वक्त में ही क्यों न खाना पड़े। 

एक दिन किसान लकड़ी लेने जंगल गया तो उसे वहाँ दो खरगोश के बच्चे मिल गए। वह उन्हें घर ले आया और उनका पालन-पोषण करने लगा। एक दिन वह अपने बैलों संग हल जोतने के लिए खेतों में गया था तो वह एक खरगोश भी साथ ले गया था। हल लगाते वक्त उसने उस खरगोश को हल के ठीक पीछे रस्सी से बांध दिया  बैल हल को खीचते तो आगे-आगे हल चलता और उसके ठीक पीछे-पीछे वह खरगोश चलता  

जब हल जोतने का यह क्रम चल ही रहा था, तभी कहीं से बैलों के दो व्यापारी वहाँ आ पहुंचे। उन्होंने किसान से पुछा कि क्या उसके  बैल बिकाऊ हैं? किसान से सकारात्मक जबाब मिलने पर वे मोल-भाव करने लगे, तभी एक व्यापारी पूछ बैठा कि उसने उस खरगोश को हल से इस तरह क्यों बाँध रखा है? किसान स्वाभाव से ही बहुत चालक किस्म का था, उसने उस व्यापारी की उत्सुकता को भांप लिया और कहने लगा कि यह खरगोश तो उसकी जान है, बहुत ही आज्ञाकारी किस्म का है, वह इसको जो भी काम  बताता है, वह उसे तत्परता से करता है,  दूसरी तरफ वह उसके और उसकी बीवी के बीच संदेशवाहक का काम भी करता है। 

किसान की बातें सुनकर दोनों व्यापारी काफी चकित हुए। बैलों के मोलभाव की बात आई तो किसान ने कहा कि इतनी जल्दी भी क्या है भाई!  दोपहर के भोजन का समय हो रहा है, इसलिए घर चलकर भोजन कर, तदुपरांत  आराम से बैठकर मोलभाव करते है। दोनों व्यापारी किसान की बात मान गए। किसान ने झट से उस खरगोश को हल पर बंधी रस्सी से खोला और उसे गोद में उठाकर उसके कानो में बोला; "जा मेरे लाडले, घर जा, मालकिन को बोलना कि दो मेहमानों के लिए भी भोजन पका के रखना, हम बस थोड़ी देर में पहुँच रहे है।" यह कहकर उसने खरगोश को छोड़ दिया। छूटते ही खरगोश सरपट भागकर झाड़ियों में कही विलुप्त हो गया। व्यापारी कौतुहल भरी  निगाहों से यह सब देख रहे थे। 

थोड़ी देर बाद वे लोग जब किसान के घर पहुंचे तो व्यापारी यह देखकर चकित रह गए कि खरगोश किसान के घर में खूंटे से बंधा था। किसान की पत्नी ने खाना भी  दो आदमियों का अतिरिक्त पकाया हुआ था। व्यापारी यह सब देख यही समझ बैठे कि यह सब उस खरगोश की ही करामात है, जबकि हकीकत यह थी कि किसान की बीवी ने खाना तो किसान के निर्देशानुसार पहले से ही अतिरिक्त पका के रखा था और जिस खरगोश को किसान ने खेत से छोड़ा था वो तो कहीं जंगल  में भाग गया था, घर में बंधा खरगोश दूसरा वाला था। दोनों ही व्यापारी उस खरगोश पर फ़िदा थे, अत: दोनों ने किसान से कहा कि इस बारी बैल रहने दे, और ये बता की खरगोश को कितने में बेचेगा। चालाक किसान तो इसी मौके की तलाश में था, अत: उसने झट से कहा  कि वैसे तो मैं  खरगोश को बेचना नहीं चाहता था किन्तु चूंकि आप मेरे मेहमान है अत: मैं आपकी बात को भी नहीं टाल सकता और वैसे कीमत तो इसकी 25000 रुपये है, किन्तु तुम 20000 रूपये ही देकर ले जा सकते हो।    

व्यापारियों ने किसान को खुशी-खुशी 20000 रूपये चुकता किये और खरगोश लेकर चल पड़े।  जब वे अपने गाँव के समीप पहुंचे तो उन्होंने भी उस खरगोश के कानो में कहा की जाओ मालकिन से कहना कि हम बस थोड़ी देर में पहुँच ही रहे है, वह दो आदमियों का खाना तैयार रखे। यह कहकर जैसे ही उन्होंने खरगोश को आजाद किया, खरगोश सरपट भागकर कही अदृश्य हो गया। वे दोनों व्यापारी जब घर पहुंचे तो देखा की न तो वहां कोई खरगोश था और न ही घर की मालकिन ने उनके लिए खाना तैयार करके रखा था। व्यापारी ने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या वहां कोई खरगोश नहीं आया था ? उसकी पत्नी ने तुरंत  प्रतिसवाल  किया कि आप किस खरगोश की बात कर रहे है? 

व्यापारियों को समझते देर न लगी कि उनके साथ धोखा हुआ है। वे उलटे पाँव किसान के गाँव पहुंचे और दोनों ही किसान पर बिगड़ने लगे कि उसने उनके साथ छल किया है। चालाक किसान ने उन्हें शांत कराया और पूछा कि खरगोश को आदेश देने से पहले क्या उन्होंने उसे अपना घर दिखाया था? दोनों व्यापारी सकपकाने लगे और एक स्वर में बोले कि उन्होंने खरगोश को अपना घर तो नहीं बताया था। अब बारी चालक किसान के बिगड़ने की थी, वह विलाप करने का नाटक करते हुए बोला अरे मूर्खों ! तुमने यह क्या कर दिया, मेरे लाडले खरगोश को  बिना अपना घर दिखाए ही आदेश देकर छोड़ दिया, बेचारा पता नहीं उस अन जान जगह पर कहाँ जंगलों में इधर-उधर भटक रहा होगा। अरे, तुमने ये क्या कर दिया? दोनों ही व्यापारियों को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे किसी अपराधी की तरह ग्लानी सी महसूस करने लगे।     

किसान उन्हें सांत्वना देते हुए अपने घर के अन्दर ले गया और चूंकि सर्दियों का मौसम था इसलिए उसने अपनी पत्नी को उनके लिए चाय बनाने को कहा। जिस कमरे में किसान ने उन्हें बिठाया था उसके दरवाजे और खिड़की के बीच में बाहर की तरफ से  किसान ने एक बकरा भी बाँध रखा था। बकरा लेटा  हुआ, अपने दोनों जबड़ो को हिलाता हुआ जुगाली कर रहा था। चाय पीते-पीते व्यापारियों ने एक साथ किसान से पूछा कि भई, तुम्हारा यह कमरा काफी गरम है, क्या बात है? किसान झट से बकरे की तरफ इशारा करते हुए बोला; सब अपने इस एयरकंडीशन की वजह से है। व्यापारियों ने आँखें फाड़ते हुए उसके तरफ देखकर  प्रश्नवाचक स्वर में  कहा, एयरकंडीशन ????  किसान बोला, हाँ भाई, सही सूना आपने! यही तो मेरा एयरकंडीशन है, बाहर से जितनी भी ठंडी हवा आती है उसे , यह खा जाता है, (जुगाली करते बकरे के मुह की तरफ उंगली से इशारा करते हुए ) देखो, अभी भी खा रहा है। जबकि उन व्यापारियों के गर्मी महसूस करने की वजह यह थी कि एक तो वे गरम-गरम चाय पी रहे थे और दूसरा, कमरे की जिस दीवार से सटकर वे बैठे थे, उसके ठीक पिछ्ले भाग में दीवार से सटा किसान की रसोई का चूल्हा था, जो उसवक्त जल रहा था, इसलिए कमरे में गर्मी थी। 

किसान की बात सुनकर दोनों व्यापारी आपस में फुसफुसाने लगे कि हमारे गाँव में तो यहाँ से भी ज्यादा ठण्ड है, क्यों न इसे ही खरीद ले। उन्होंने किसान से बकरे का भाव पूछा तो किसान ने वही रटा-रटाया जबाब दिया,कि  वैसे तो 25000/- रुपये है किन्तु तुम्हे मैं 20000 रूपये में दे दूंगा। अब दोनों व्यापारी उस बकरे को अपने गाँव ले आये और कमरे के बाहर बाँध दिया। रात को कड़ाके की सर्दी पडी और सुबह तक बकरा ठण्ड के मारे स्वर्ग सिधार चुका था। अगले दिन दोनों व्यापारी भागते-भागते किसान के गाँव पहुंचे तो किसान की पत्नी ने बताया कि वह तो जंगल गए है इस वक्त।  दोनों ही व्यापारी वक्त जाया नही करना चाहते थे, अत: वे भी किसान को पकड़ने  जंगल की और चल पड़े। इस बीच किसान जब अकेला जगल में जा रहा था तो उसके पीछे रास्ते में एक भालू पड गया। किसान उससे बचने के लिए एक पेड़ के पीछे छुपा तो भालू  ने मय पेड़  उसे पकड़ने की कोशिश की। किसान न सिर्फ चालाक बल्कि बहादुर किस्म का भी था। उसने झट से भालू के दोनों हाथ पकड़ लिए और उसे वहीं रस्सी से लपेटकर पेड़ से बांध दिया। उसके बाद किसान ने भालू के पिछवाड़े पर एक जोर की लात मारी तो भालू ने मल त्याग दिया। 

इस बीच किसान की नजर जंगल में उसी की तरफ आते दोनों व्यापारियों पर पडी तो उसे मामला भांपते देर न लगी। उसने फ़टाफ़ट अपनी जेब से कुछ रूपये निकाले और उन्हें भालू द्वारा विसर्जित मल में अच्छी तरह लोट-पोट कर दिया। ज्यों ही व्यापारी  एकदम उसके नजदीक पहुंचे तो किसान  एक-एक कर भालू के मल में लिपटे नोटों को निकाल-निकालकर साफ़ करने लगा और उन्हें सुखाने लगा। व्यापारियों ने उत्सुकताबश तुरंत पूछा कि किसान तुम ये क्या कर रहे हो? चालाक किसान बोला, मत पूछो भाई कि मैं क्या कर रहा हूँ। यही भालू तो मेरी रोजी का साधन है..............क्योंकि यह मल के साथ-साथ अपने पेट से नोट भी त्यागता है, जिन्हें साफ कर मैं अपनी रोजी-रोटी चलाता हूँ। दोनों ही व्यापारी एक साथ उछल पड़े, और बोले, अरे यह तो बड़ा ही अजूबा है, पहली बार ऐसा देखा और सूना है। वे किसान से बकरे के बदले दिए गए पैसे वापस मांगना भी भूल गए और बोले, तुम इस भालू को कितने में बेचोगे ? 

किसान ने एक बार फिर वही रटा-रटाया जबाब दिया कि वैसे तो इसकी कीमत 25000 रूपये है किन्तु तुम्हारे लिए मात्र 20000/- रूपये। लेकिन इस बारी किसान ने एक शर्त यह रखी कि चुकी वह भालू उसको जी-जान से प्यार करता है और उससे अलग नहीं होगा, इसलिए वे लोग उस भालू को उसके वहां से चले जाने के दो घंटे बाद ही खोलें। लालची व्यापारी किसान की हर बात मानने को तैयार थे, अत: किसान को भालू की कीमत देकर उन्होंने विदा कर दिया और जब उसके कहे अनुसार दो घंटे बाद उन्होंने भालू को खोला तो क्रोधित भालू  उनपर झपटा और पलभर में दोनों व्यापारियों को  उसने मार डाला।     

इतिश्री !                  

Friday, May 11, 2012

इस कार्टून में ऐसा गलत क्या था?


अंधेर नगरी चौपट राजा.... शायद यह कहावत एकदम सही चरितार्थ होती है हमारे राजनीतिज्ञों पर ! यूं तो हमारी एनसीईआरटी की किताबों में हमारे बच्चों को बहुत कुछ गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है, मसलन महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा और इससे वह धार्मिक नेता बन गया !(कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28) जिसकी तरफ हमारे इस सेक्युलर देश के ज्ञानी, विद्धवान राजनीतिज्ञों का कभी या तो ध्यान गया ही नहीं या फिर उनके लिए यह इतनी अहमियत ही नहीं रखता ! किन्तु प्रसिद्द कार्टूनिस्ट शंकर द्वारा बनाए गए इस कार्टून उन्ही किताबों में छपे संविधान निर्माता डा० भीमराव आंबेडकर का यह कार्टून उनका अथवा हमारे समाज के दलित वर्ग का क्या अपमान कर रहा है, यह मेरी समझ में नहीं आया !



एनसीईआरटी की किताब में इस कार्टून में संविधान नामक घोंघे पर आंबेडकर बैठे दिखाए गए हैं और नेहरू पीछे से घोंघे को सोंटा लगा रहे हैं! दक्षिण के एक सांसद द्वारा उठाये गए इस मुद्दे को क्या कौंग्रेस, क्या बीजेपी और क्या अन्य जिनमे लगभग सभी दलों के नेता, मायावती, पासवान इत्यादि सम्मिलित है, ने यह कहकर हंगामा खडा कर दिया कि इसमें आंबेडकर और दलितों का अपमान किया गया है !कार्टून देखने के बाद मेरे को तो जो तुरंत समझ में आया था वह यह था कि कार्टूनिस्ट ने यह दिखाने की कोशिश की है कि नेहरु उस घेंघे रूपी संविधान को अपने हिसाब से हांकना चाहते थे किन्तु आंबेडकर ने घेंघे ( संविधान ) पर अपनी लगाम कसे रखी ! इसमें तो उलटे उनका मान बढाया गया है !



मगर तरस आता है इन जेनयू जनित दलित बहुसंख्यक कामरेडों की बुद्धि पर, जोकि हुसैन के एक नंगी औरत के उपर सीता लिखने को कला की स्वतंत्रता का नाम देते नहीं थक रहे थे, वो ही अंबेडकर का एक नार्मल कार्टून नहीं पचा पा रहे हैं! इन दोगले लोगो ने अभी प० बंगाल की मुख्मंत्री ममता बनर्जी के कार्टून पर भी बहुत कुछ कहा और यहाँ पलटी मार ली ! अगर कार्टून में मज़ाक ही न हो तो वो कार्टून ही क्या , मगर अफ़सोस कि "दलित" मसला भी इस देश में कुछ कुछ इस्लाम जैसा बन गया है जहाँ वर्णमाला की छोटी बड़ी मात्रा पर भी ख़तरे का अलार्म बज उठता है! जहां तक मैं समझता हूँ , देश काल के हिसाब से यह कार्टून कुछ भी ग़लत नही है, लेकिन आज जब बात दलित, अल्प-संख्यक, मुस्लिम, ईसाई, आदि की हो रही हो तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे कोई विषय ही नहीं रह जाता है हमारे लोकतंत्र में, हाँ, हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए ये भले ही बीफ फैस्टीबल का आयोजन विद्या मंदिरों में ही भले क्यों न करें !



Thursday, May 10, 2012

विभिन्न भाषाओं में माता-पिता के लिए हमारे संबोधन How to say "Mother and "Father" in Different languages:



अपने देश में : (In India):       माता/मात (Mother)     पिता/तात (Father)
संस्कृत (Sanskrit)           मातृ(Matr)/जननी(Janani)        पितृ,जनक,((Pitr)/Janak/tatah)


क्षेत्र /प्रदेश अनुसार ( Area/ Region wise)  :            
  


चलिए कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र  से शुरू करते है:- (Let's start from Laddakh region of Kashmir):
                     
१.लद्दाख (Laddakh)                     अनो,अमो,जीजी,                  अता,बाबा,अबा    
  (लद्दाखी, बल्टी और भोटी)            अमा, एमा, माँ:ली                  माँ:लो  
   (Ladakhi, Balti, Bhoti)             (Ano.Amo,ZiZi,Ama,        (Ata, Aba, Baba
                                                    Ema, Ma:Li)                       Ma:Lo)


2.कश्मीरी (Kashmiri)              मम्ज, मोज (maej,moj)       मोल, बाब (mol, bab)


३.डोगरी (Dogri)                       माँ, म्ये (ma,m;e)                   प्यो,बैब  Pjo, B:eb)


४ कांगरी/शेरपा                        मुम,मम,अमा                        आव,अवा (Awa)
(Kangri/Sherpa)                       (Mum, Ama)

५.पंजाबी (Punjabi)                  माँ, बेबे,बीबी,चईजी              बापू ,बाबा,पापाजी, पाजी                 
                                                 (Maa,Bebe,Bibi,Chaiji)       (Bapu,Baba, Papaji, Paaji)

६. हरियाणवी/ प०उ०प्र0 /राजस्थानी       माँ,मम्मी,अम्मा,बीबी      बाबूजी,बाब्बू ,बाबा  
 (Haryanavi/West. UP/Rajasthani)   (Maa,Mammi,Amma,bibi)   (Babuji,babbu,baba)  

७. कुमाउनी/गढ़वाली             इजू, माँ, ब्वे, मैडी, मांजी         बाब,पि~तजी,बुबाजी, बाबू 
    (Kumaoni/Garhwali)            (iju.maa,bwe,maidi,maanji)    (baab, pitaji,bubaaji.baabu)
  और नेपाल से लगे क्षेत्र में  आमा,मुमा (Aama,muma)       बा,  बुवा (Ba, buwa)
  (And sorrunding Nepal border area) 

8. भोजपुरी(Bhojpuri)           माई, इया(Mai,iya,Ama)             बाबूजी (Babuji,papa)

9. बिहार/झारखण्ड                माँ (Maa)                                   बाबूजी (Babuji)
       (Bihar,Jharkhand)
 नोट (Note): बिहार,झारखंड, छत्तीसगढ़, ओधिसा और इससे लगे महाराष्ट्र तथा आंध्रा के आदिवासी क्षेत्रों में सादरी, खोरठा, कुरमाली, मगधी, पंच्पर्गानिया और द्रविड़ इत्यादि भाषाए बोली जाती है, जिनमे माता-पिता के लिए उनके अनेकों भिन्न-भिन्न संबोधन है, किन्तु मुख्य रूप से वहा के निवासी भी  बिहार, बंगाल ,ओधिसा और आंध्रा के संबोधनों को ही प्रयोग में लाते है ! (The tribal (adivasi) people of Bihar, Jharkhand, Chattishgarh, odhidsa and andhra areas speak their different-different local languages like Sadri, Khortha, Kurmali and Panchpargania; and the Dravidian languages but they mainly use to address their parents in the same  rough dialectal variant of  Bihari, Bengali, Odhisi,Marathi and Telgu)    

10. बंगाली  (Bengali)            माँ,मागो (ma,maago)                   बाबा (baba)


11.  असमी (assamese)            माँ, आई (ma, Ai)                       देउता (deuta)


12.  मणिपुरी (manipuri)  मामा इमा (mama,ima)       इपा,बाबा,पाबा,इपुंग Ipa,baba,paba,ipung)

13. मिजो (mizo )                      नु (nu)                                    पा (pa)


14.  नागा (naga)                         पुई (pui)                               पु (pu)


15.  अरुणाचली (तिब्बती)           युम, माँ                                  यब, पा
(arunanchali (mainly tibetian)  (yum,ma)                               (yab,pa)


16.   ओडिया (oriya)                   माँ, बाऊ (ma, bau)                बापा (bappa)


17.   तेलुगु (telugu)                अम्मा (Amma)                नाना,नयना,अप्पा,अय्या  
                                                                                               (naana,nayna,appa,ayya)
18.   तमिल (Tamil)             अम्मा  (Amma)                   अप्पा (Appa)

19. मलयालम               अम्मा, अम्मे,उम्मा,अम्माची       अच्चन,अच्चा,उप्पा,अप्पच्चां  
       (Malayalam)          (amma,amme,Umma,ammachi)    (acchan,Acchaa,Uppa,Appacchan)
20. कन्नड़                    अम्मा,अव्वा,थाई                           अप्पा,अन्ना,तेंढ़े 
      (Kannada)              (amma,avva,thai)                           (appa,anna, Tandhe )
21.   कोंकणी  (Konkani )          माई (Mai)                         अन्ना  (Anna) 

22. मराठी           आई, आय,आये,बाये,नानी वाहू         बाबा,दादा,नाना,अन्ना,भौ,अप्पा,बा
     (Marathi  )      (aai,Aay,Aaye,baye,nani,vahu)       (baba,dada,nana,anna,Bhau,appa,ba)  
23. गुजराती(Gujarati)          बा (Baa)                        बापू,बापूजी (Bapu,Bapuji)  

24.सिन्धी(Sindhi)      अम्मी,अम्मा,भाभी (ammi,Amma,Bhabhi)      अब्बा,बाबा (Abba,baba) 
            

                     

कुछ विदेशी भाषाओं में ( In some foreign languages ):
                                        MOTHER                              FATHER        

English:                           Mom, Mummy, Mother          Father,Dad, Daddy,Pop, Poppa/Papa
German:                          Mutter                                   Banketi or Papi 
Urdu:                              Ammee, Ammijaan                 Abbu, Abbujaan
French:                           Mere, maman                          Papa 

Italian:                            Madre                                      Babbo
Portuguese:                    Mãe                                          Pai
Albanian:                       Mëmë; Nënë; Burim;                  baba ; atë
African                          moeder ; ma                               vader
Aragones:                      Mai                                            Pai
Asturian:                        ma                                             pá
Aymara:                        taica                                          auqui
Basque/Bhutani            Ai, ama                                        apa,aita
Bergamasco                 mater                                            pater
Bolognese                    mater                                            pater
Bosnian                        majka                                          otac 
Brazilian / Portuguese   Mãe                                            pai
Bresciano                    Mamma, mader                            buba
Breton                         mamm                                          tad 
Belarusian:                     Matka                                        Тата
Cebuano:                      Inahan; Nanay                            amahan; tatay
Serbian:                        Majka                                        Ta-ta
Czech:                         Abatyse; Matka                           otec ; tada
Chinese:                       Ma-ma,mǔqīn                             ba-ba,fùqīn
Dutch:                         Moeder; Moer                             vader ; papa ; pappie
Estonian:                     Ema                                             isa
Frisian:                        Emo, Emä, Kantaäiti, Äiti             heit
Greek:                        Màna                                            pat??a?
Korean:                     eom-ma                                         a-bba
Japanese         okaasama,okaasan.kaasan,okaachan,       otousama,otousan,tousan,otouchan

                       kaachan,mama,ofukuro,okan                   touchan,papa,oyaji,oton
Russian                      мама                                             papa          
Swedish:               morsa, mom                                      farsa

Spanish:            Madre                                                   Padre
    
नोट Note: भूल,चूक लेनी, देनी ! आपके सुझावों का स्वागत ( E &OE , your suggestions in this regard are always welcome )