Tuesday, June 23, 2009

माया की मूर्ती

तो आखिरकार तैयार हो ही गई माया और कांशीराम की ४० मूर्तियाँ ! और शीघ्र ही मायावती जी इनका अनावरण करने जा रही है ! बात इसलिए ख़ास है कि ये मूर्तिया उत्तरप्रदेश की एक विशाल सरकारी जमीन पर लगने को तैयार है ये हमारे इस तथाकथित सबसे बड़े लोकतंत्र की इस सदी के दो महान राजनेतावो की मूर्तिया है, एक की जीते जी, और दूसरे की मरणोपरांत ! जीते जी इसलिए कि बाद में उत्तराधिकारियों पर भरोसा नहीं है कि वे बनायेंगे भी या नहीं, इसलिए अभी से निपटा दिया ! दूसरी ख़ास बात है इनकी कीमत, एक अरब चौरानब्बे करोड़ की लागत से तैयार इन मोर्तियो की चमक ही कुछ ख़ास है ! जो बात ख़ास नहीं है उसे भी लिख दूं, और वह यह है कि इस एक अरब चौरानब्बे करोड़ रूपये में उत्तरप्रदेश के सारे दलित परिवार करीब चार महीने तक सरकारी खर्चे पर भंडारा लगाके मुफ्त में भरपेट खिलाये जा सकते थे ! खैर, ऐंसी बाते लोकतंत्र में ज्यादा अहमियत नहीं रखती, दलित भूखे रहते है तो वो उनके अपने कर्म है, उससे मायावती बहन को क्या लेना देना ? बहन मायावती जी के लिए तो वो क्या खुशनुमा पल होंगे जब कभी फुरसत पर वह अपने बनाए ( चाहे वह लोगो की गाढे टैक्स की कमाई से ही क्यों न बने हो ) पार्क में अपनी ही मूर्तियों के बीच से गुजरते हुए भ्रमण करेंगी और कबूतर तथा अन्य पक्षी, मूर्तियों के सिर में बैठकर अपना पेट हल्का कर रहे होंगे ! सचमुच में किस्मत वालो को ही ऐसे सीन देखने को नसीब होते है !

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