Wednesday, July 1, 2009

यहाँ एक हरागढ़ भी है !

हाल के दिनों में लालगढ़ की खूब चर्चा है! यूँ तो यह लालगढ़ एक लम्बे समय से अमन पसंद लोगो के लिए चिंता का बिषय बना हुआ है, किन्तु यह प्रकाश में तभी आया, जब अपने को गरीबो और बेसहारों का मसीहा बताने वाले का अपना खुद का घर, अपनी खुद की लगाई आग की उन लपटों में घिर गया, जिन लपटों से वह आजतक दूसरो का घर जलाता आया था! और अब हमारे अर्ध-सैनिक बलों के जवान, दिन रात कड़ी मेंहनत करके इसे उन लाल-पसन्द लोगो के चंगुल से छुडाने का हरसंभव प्रयास कर रहे है!

यूँ तो इस देश में सदियों पुरानी परम्परा के चलते कदम-कदम पर अनेको गढ़ है, लेकिन अब लालगढ़ से भी भयावह बनता जा रहा एक और गढ़ है, हरागढ़ ! जो देश की राजधानी दिल्ली से सटा पश्चमी उत्तर- प्रदेश का इलाका है, और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पड़ता है! पिछले १०-१५ सालो से इस प्रदेश में मौजूद कुशासन और हर तरफ व्याप्त भ्रष्टाचार ने यहाँ की कानून-व्यवस्था की स्थिति को जर्जर करके रख दिया है! यहाँ पर भरी दोपहर में भी सडको पर मोटरसाइकिलों पर अराजकता और लूट-पाट का नंगा नाच देखना एक आम बात हो चली है ! हर मोड़ पर अपराधियों के गढ़ है, और हैवानियत इस कदर बढ़ चुकी है कि इंसान को लूटते वक्त अगर उसके बदन पर पहने कपडे भी इनको पसंद आ गए, तो उन्हें भी उतार कर ले जाते है ! किसी महिला के गले में चेन नहीं है, मगर कानो पर कुंडल है तो उन्हें निकालने के लिए, उसके कान काटने से ज़रा भी नहीं हिचकिचाते !

जरुरत है समय रहते इसे रोकने की, जरुरत है यहाँ पर भी लालगढ़ जैसा सैनिक अभियान चलाने की ! वरना कहीं ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए और इसकी लपटों में दिल्ली भी जल उठे !

2 comments:

Unknown said...

all politician do only for their benefits. That are not at all concerned with the public. They always do their work against the opposite party. Now, the work done against opposite part creates few benifits for public. Forget it that any politician ever work for public.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Thanks a lot for your comment, Sir ! Why are you not trying to start some creative work on your blog ? Initially you can start it with some copy/paste things from vast internet, which is interested for people, here.