Wednesday, August 5, 2009

55 शब्दिया कहानिया : थैंक्स टु अमित गुप्ता !

अमित गुप्ता जी से मिले ५५ शब्दों वाली कहानी (55 Fiction stories) के आइडिया से प्रेरित हो कुछ कहानिया यहाँ पेश है :

माँ:- बेटा, दुनिया बेईमान है! खरीदने से पहले ठीक से देख-परख लेना!
माँ की हिदायतों के अनुरूप बेटे ने संतुष्ट हो बैल खरीद लिया! घर लौटते, रास्ते में एक तालाब पडा, बैल को पानी पिलाने लगा, पानी पीते हुए बैल पेशाब भी करने लगा, यह देख, वह चीखा, धोखा ! बैल में तो रिसाव(लीकेज) है... !

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रोज-रोज की सासू की मार से सहमी नंदिता ने पिछले दो दिनों से सावधानी पूर्वक कोई भी ऐसी गलती नहीं की कि सास को उसे मारने का बहाना मिलता ! वह खुश थी, आज मार नहीं पडी ! शाम को आटा गूंद रही थी, कि तभी पीछे से सास की लात पडी कि आटा गूंदते हिलती क्यों है.... ?

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सब उग जाता, सिर्फ नमक लेने शहर जाना पड़ता ! दोनों भाइयों ने सोचा, नमक खेत में बोकर देखते है ! महीनो हुए नमक नहीं उगा, खेत खोदकर देखा, नमक पर तिलचट्टे (ग्राशोपर्स ) लगे थे, क्रोधित हो, तिल्चट्टों पर गोलिया बरसाई ! एक तिलचट्टा उछलकर सीने पर जा बैठा, दूसरे भाई को इशारा किया, इस्स्स्स्स्स,

और दूसरे भाई ने बिना देर किये ठाँ......!

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बाहर बर्फ और कडाके की सर्दी थी, सातो भाई सोने के लिए रजाई में दुबक गए! दरवाजा तो खुला रह गया, कौन बंद करेगा, बड़े ने पूछा ! एक-एक कर हरेक ने अपने से छोटे को हुक्म सुनाया ! जब सबसे छोटे भाई को बोला गया तो वह जोर से रोने लगा ! बड़े ने कहा, अबे चुपकर, मैं अभी जंगल जाकर एक लंबा बांस काट लाता हूँ, फिर लेटे-लेटे ही बंद कर देंगे किवाड़.......!

7 comments:

'अदा' said...

ha ha ha ha ha
sahi hai..

Udan Tashtari said...

५५ शब्दिया तो कमाल कर रही हैं. हा हा!!

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

अच्छी विधा है लेकिन ये चुटकुले बन कर न रह जाएँ। कथा में वाकई कथा तो हो।

रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

S D said...

jamane ke saath - saath, New vidha, new idea, Great.....

पी.सी.गोदियाल said...

AAP SABHEE KAA SHUKRIYAA AUR RAKSHAABANDHAN KEE SUBHKAAMNAAYE !

hem pandey said...

'बाहर बर्फ और कडाके की सर्दी थी, सातो भाई सोने के लिए रजाई में दुबक गए! दरवाजा तो खुला रह गया, कौन बंद करेगा, बड़े ने पूछा ! एक-एक कर हरेक ने अपने से छोटे को हुक्म सुनाया ! जब सबसे छोटे भाई को बोला गया तो वह जोर से रोने लगा ! बड़े ने कहा, अबे चुपकर, मैं अभी जंगल जाकर एक लंबा बांस काट लाता हूँ, फिर लेटे-लेटे ही बंद कर देंगे किवाड़.......! '

- लच्छू कोठारी की औलाद !

नीरज गोस्वामी said...

गज़ब की कहानियां...एक से बढ़ कर एक...धाँसू...आप को पचपन सौ बार बधाई...
नीरज