Saturday, November 14, 2009

भेडे प्रतिकार नही करती !

हमारे इस लोकतन्त्र मे भ्रष्ठाचारियों के हौंसले किस कदर बुलंद है, इसकी एक मिशाल निर्दलीय विधायक होने के वावजूद आंटी सोनिया, हेर-फेर के भीष्म पितामह लालू और गुरुऒं के गुरु, शोरेन गुरुजी के आशिर्वाद से एक जमाने मे झारखण्ड की सत्ता के प्रमुख बने, वहां के भूतपूर्व सम्मानित मुख्यमन्त्री श्री मधु कोडा के इस एक लाईन के बयान से मिलता है, जिसमे कल ही उन्होने कहा कि यदि उन पर आरोप साबित हो गये तो वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे। बयान भले ही बहुत छोटा सा लगता हो, मगर खुद मे बहुत से गूढ अर्थ समेटे है। मसलन पहली बात तो यह कि हमारे प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच अजेंसियों द्वारा उसके पास से जुटाये गये इतने बडे हेर-फ़ेर की सामग्री और अन्य बडे-बडे दावों के वावजूद, मधु कोडा को पूरा भरोशा है कि ये ऐजेंसियां और सरकार उन पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध नही कर पायेंगी। दूसरी बात यह कि मधु कोडा इस बात से भी आस्वस्थ हैं कि जहां तक राजनीतिज्ञ विरादरी की भ्रष्ठता का मुद्दा है, हमारा न्यायतंत्र और कानून, खास कुछ नही कर पाते । तीसरी महत्वपूर्ण बात उनके बयान से यह निकलती है कि जैसा कि उन्होने कहा कि वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे, इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि इस देश मे आरोप सिद्ध हो जाने के बाद भी भ्रष्ठ लोग राजनीति से जुडे रहते है।

इससे भी आगे चलकर देखें तो जैसा कि हम सभी लोग इस बात से वाकिफ़ है कि इस देश मे आजतक हुए बडे-बडे घोटालो की जांच का क्या हश्र हुआ ? मसलन चारा घोटाला, सुखराम टेलीफोन घोटाला, बोफ़ोर्स घोटाला, हाल के सडक और मोबाईल लाइसेंस घोटाले, इत्यादि । ठीक उसी तरह अगर आप मधु कोडा से जुडे प्रकरण पर भी गौर करें तो यह जांच तबसे ठण्डी पडती दिख रही है, जबसे कोडा की डायरी का जिक्र आया। मतलब सीधा सा है कि बडी मछलियों को पकडने का आह्वान करने वाली केन्द्र सरकार इस घोटाले मे भी बडी मछलियों पर आंच आने की सम्भावना से, उन्हे बचाने की कवायद के चलते, इस केस को भी ठ्न्डे बस्ते मे डालने की तैयारी मे है। आश्चर्य तो तब होता है कि जब इस देश का तथाकथित बुद्धि जीवी वर्ग यह तर्क देने लगता है कि ’लौ विल टेक इट्स ओन कोर्स’ (कानून अपना काम करेगा)। अब कौन इन महापुरुषो से पूछे कि भाई आप किस लौ(कानून) की बात कर रहे है? उस कानून की जो सिर्फ़ एक कमजोर किस्म के नागरिक पर लागू होता है, किसी बलशाली पर नही ? अन्य शब्दो मे कहुं तो गडरिये इस बात को बखूबी जानते है कि स्वभाव से भॆडे प्रतिकार नही किया करती, और कभी कर भी लेती हैं तो भी झुण्ड की साथी भेडो पर ही अपना गुस्सा निकालती है, गडरिये को कोई नुकशान नही पहुचाती और कभी अगर झुण्ड मे से कोई नरभेड तंग आकर प्रतिकार करने भी लगे, तो उसे गडरिये द्वारा मरवा दिया जाता है। अन्त मे बस यही कहुगा कि जागो !!

11 comments:

श्रीश पाठक 'प्रखर' said...

मसलन पहली बात तो यह कि हमारे प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच अजेंसियों द्वारा उसके पास से जुटाये गये इतने बडे हेर-फ़ेर की सामग्री और अन्य बडे-बडे दावों के वावजूद, मधु कोडा को पूरा भरोशा है कि ये ऐजेंसियां और सरकार उन पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध नही कर पायेंगी। दूसरी बात यह कि मधु कोडा इस बात से भी आस्वस्थ हैं कि जहां तक राजनीतिज्ञ विरादरी की भ्रष्ठता का मुद्दा है, हमारा न्यायतंत्र और कानून, खास कुछ नही कर पाते । तीसरी महत्वपूर्ण बात उनके बयान से यह निकलती है कि जैसा कि उन्होने कहा कि वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे, इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि इस देश मे आरोप सिद्ध हो जाने के बाद भी भ्रष्ठ लोग राजनीति से जुडे रहते है।

शत प्रतिशत सहमत हूँ...

जी.के. अवधिया said...

हमारे देश की जनता की याददाश्त बहुत कमजोर है। किसी भी बात को बहुत जल्दी भूल जाती है वो। इसलिये समय बिताइये, मामला अपने आप भुला दिया जायेगा।

cmpershad said...

अरे भैया, कानून फानून तो आम आदमी के लिए है। आपने तो वो पुरानी कहावत सुनी होगी - king is above law. यह तो बहुत तजुर्बे के बाद बडे-बूढों ने कहा था। सही भी है.... जेलों में बैठ कर, खून खराबा करके, भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर भी नेता बने बैठे है तो किस की हिम्मत की उन्हें हाथ लगायें। आखिर पकडने वाले के हाथ भी तो काले है ना :)

दिगम्बर नासवा said...

DARASAL JO NETA BAN JAATA HAI VO ALAG SHRENI MEIN AA JAATA HAI ..... AAM PRAJA SE OOPAR UTH JAATA HAI ... USKO IS BAAT SE KOI FARK NAHI PADHTA KI YE JAANCH AGENCIES KYA KARENGI KYONKI VO UTNA HI KAAM KARENGI JITNA KAHA JAAYEGA ....

JITNE JYAA CASE UTNA HI BADA NETA ...

अनुनाद सिंह said...

को।दा नहीं ये कोढ़ है। चोरों ने मिलकर इस महाचोर को मुख्यमंत्री बनाया था। किसी को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिये - यह महाचोर भी बाइज्जत बरी हो जायेगा। पूरी न्यायप्रणाली भ्रष्ट हो चुकी है। सीबीआई और इनकम टैक्स के अधिकारी भी महाभ्रष्ट हैं। कुछ दिनों बाद लीपापोती शुरू हो जायेगी। सब मिलबांटकर गरीबों की कमाई को उड़ा जायेंगे।

राज भाटिय़ा said...

आप के लेख के एक एक शव्द से सहमत हुं, वेसे हम सब भेडे ही तो है, जो बिना प्र्तिकार सब कुछ सहे जा रहे है, अन्य देशो मे एक घटोला भी हो जाये तो जनता सरकार का जीना हराम कर देती है, ओर हमारा देश घटोलो का देश बनता जा रहा है, सच मै जिनियसं बुक मै नाम आना चाहिये.कल क्या हुया हम भुल जाते है, फ़िर से उसी चोर को चुन लेते है.... याद करे कितने नेता है जिन्होने जनता को धोखा नही दिया,जिन पर केस नही चला फ़िरभी वो जीत जाते है, केसे?? यह भेडे ही तो जिताती है उन्हे.
इस अति सुंदर लेख के लिये आप का धन्यवाद

अंशुमाली रस्तोगी said...

चचा मधु कोड़ा ने कहा है कि अगर उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हुए तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे। मैं इस सच्चाई में उनके साथ हूं।

अजय कुमार said...

जब छोटा सा संपत्ति विवाद दशकों तक नहीं
सुलझाता ,तो अथाह संपत्ति का मामला पता नहीं
कब तक चलेगा ,फिर लोग भूल जायेंगे और इस
दौरान कोडा साहब बड़े पदों को भी सुशोभित करें तो
कोई हैरानी नहीं होगी

काजल कुमार Kajal Kumar said...

अब इतने नोट कूट लेने के बाद राजनीति में रखा भी क्या कोड़ा बाबू के लिए...बाकी उम्र नोट सैट करने में गुजर जाएगी...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

पी.सी.गोदियाल जी!
पब्लिक मेमोरी बहुत कमजोर होती है!
उसी का लाभ हमारे नेतागण उठाते हैं।

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...

इतिहास को देखते हुए श्रीमान कोडा जी के कथन पर अविश्वास करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.....उन्हे अपने देश की न्यायप्रणाली(?) पर भरोसा है...इसीलिए उनके बयान में भी आत्मविश्वास स्पष्ट झलक रहा है !