और सुनो, अगर आस-पास कोई ढंग का दिखे तो उससे भी पूछ लेना कि वह पक्का 'डोकटर' ही है ,कोई ऐरा-गैरा 'डोनकोटा' तो नहीं ! अरे भाग्यवान वो तो मै पता कर लूँगा, लेकिन ये तो बतावो कि ये 'डोनकोटा' किस बला का नाम है, मैंने पुछा ! माथा पीटते हुए पत्नी ने जबाब दिया, हे भगवान्, ये किस किस्म के इंसान से मुझे बाँध दिया, (शुक्र था कि उसने इंसान कहा, खूंटा नहीं कहा) अरे कितनी बार समझाया कि आजकल सडको पर बतेरे डोनेसन और कोटे वाले डोकटर घूम रहे है, उनको अगर बतावोगे कि सिर में दर्द है तो वे सिर पर ही इंजेक्सन घोप देते है! पत्नी की यह बात सुनकर मैं भी ज़रा सहम सा गया था और साथ ही मुझे अपनी MEI (middle educated indian ) बीबी की समझदारी पर गर्व और खुद से घृणा सी होने लगी थी ! अब मेरी समझ में आने लगा था कि बहुत पहले जब मेरी बीबी प्रेग्नेंट थी, और हम किसी डाक्टर के पास चलने को होते थे तो वह मुझसे यह सवाल क्यों करती थी कि तुमने डोकटर का नाम और जाति पूछी ! उस समय तो मैं उसकी इस बात पर भड़क जाया करता था, और कहता था कि यार, तुम औरतो में यही तो बीमारी है, जरा दो-चार अक्षर क्या पढ़ लेती हो, अपने को तीस मारखां समझने लगती हो ! डाक्टर का नाम और जाति पता पूछकर हमें क्या करना, हमें उससे कोई रिश्तेदारी थोड़े ही जोड़नी है ! फिर वो कहती, अरे तुम तो बस जरा-ज़रा सी बात पर भड़कने लगते हो, नाम, जाति, पता जान लेने से यह मालूम पड़ जाता है कि वह कहीं कोटे का डोकटर तो नहीं ! मै कहता, अरे वह जयपुर का रहने वाला है कोटा का नहीं ! वह माथा पीटकर चुप हो जाती !
अब मैं समझने लगा था कि मेरी पत्नी कितनी समझदारी वाली बाते करती है, उसके शब्दों में कितनी गूढ़ता छिपी है ! हाल ही के चेन्नई स्थित प्राइवेट मेडिकल कालेजो का स्टिंग ऑपरेशन देख कर तो मुझे भी यही लगता है !
Saturday, June 6, 2009
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